सफ़ेद बालों से
होती पहचान
बुढ़ापा है जीवन
की शान
सूर्योदय की पहली
लाली
बचपन की मौजे
मतवाली
दोपहर की प्रखर
सी किरणें
उमंग-तरंग जो तपती
मन में
डूबते सूर्य की
गोधुली शाम
मनुष्य जीवन की
है विश्राम
उम्र की हर पराव
चढ़कर
बुढ़ापा आती है
समय पर
लेकर सुन्दर सोच
महान
सुभग सृजन करके
अविराम
देकर अपनी क्षमता
प्राण
गरिमामय चिंतन
अभियान
लोक पथ हितकारी
काम
करते रहे निज
देकर ज्ञान
अनुभवों की धार
से
अज्ञान-तम को
प्यार से
प्रेरणा में रंग
भरकर
परिवार में आदर्श
बनकर
परंपरा के साथ
चलकर
मार्गदर्शन कर के
निरंतर
होकर सदा
स्फूर्तिवान
जीते हैं जो उम्रे
तमाम
वो बुढ़ापा है
महान
कहलाते जीवन की
शान .
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