Saturday 25 November 2017

वो ह्रदय नहीं वो पत्थर है



वो ह्रदय नहीं वो पत्थर है
जिसमें बहती रसधार नहीं ,
जिस पुष्प में कोइ गंध नही                              
वहां भौरों की गुंजार नहीं , वो......
मुरझा जाता है, मर जाता है
 जीवन की आशा खो जाता है                         
जहाँ अपनापन का भाव नहीं
वहाँ होता सच्चा प्यार नहीं , वो......
है दरिद्र वही , है दीन वही
जिस व्यक्ति के उर में नेह नहीं
जहाँ संताप भरे आंसू बहते
वहाँ देता ख़ुशी करतार नहीं , वो .......
जो बसन्त में बस मुस्काता है
पतझर से जो घबराता है
जिस वृन्त में केवल शूल ही हो
वहाँ आता कभी बहार नहीं , वो......  

Monday 13 November 2017

बच्चों से ही उज्जवल जग है



निर्मलता की निशानी बचपन
अल्हड़ता की कहानी बचपन
मुस्कान मधुर सुहानी बचपन
निष्कपट सी अज्ञानी बचपन.
बच्चो का होता कोमल मन
खुशियों से हँसता अंतर्मन
सरलता होती इमान-धरम
नहीं समझता पाप-पतन.
बाल-श्रमिक जीते शोषण में
मजबूर वे होते हैं जीवन में
भरके करुणा व्यथित नयन में
दर्द वे ढोते हैं जीवन में.
पूर्णतः ये बाते सच है
बचपन पर आई संकट है
उलझन में ही रहते सब है
भ्रमित वे होते भटकते पथ है.
प्यार मिले ,मिले प्रोत्साहन
हो सुन्दर पालन और पोषण
बच्चों में ही बसते रब हैं
बच्चों से ही उज्जवल जग है.